मैं हूँ बेरोजगार
मुझे चाहिए रोजगार
मुझे चाहिए रोजगार
सालों तक पढ़ाई की मैंने, सीखी हिंदीे , सीखी अंग्रेजी
सीखा गणित और सीखी जोग्रफी
फिर भी नहीं मिल रही है ,आज मुझे नौकरी
मात्र पढ़ाई करने से नहीं मिलती नौकरी, यह बात तो हो गयी है सिद्ध ,गली गली में मैं घूमा हूँ जैसे आकाश में घूमता है गिद्ध
सीखा कंप्यूटर , सीखा विज्ञान, दिया मैंने अनेकों एग्जाम , सरकारी नौकरी कैसे मिले ,आया नहीं मुझे यह ज्ञान
देख बाबा रामदेव को, हुआ मुझे यह भान, सिर्फ बड़ी डिग्री, कॉलेज,प्रतियोगिता नहीं, तजुर्बा लेने से भी मिलता है ज्ञान
बाबा ने भिक्षा मांगी ,सब्र किया, सहा तिरस्कार , फिर भी नहीं छोड़ा उन्होंने स्वरोजगार का द्वार
बिरला,अंबानी, जेठमलानी को देखने से मिला मुझे यह ज्ञान ,नौकरी करने से भली है, स्वरोजगार करने की शान
बंजर जमीन में सहयोग औरं मेहनत करने से मैं भी पा सकता हूँ काम .पेड़ों को कटने से बचाने के लिए,हिमालय की ”गौरा देवी” करने चली थी न्योछावर अपने प्राण ।
संजीवनी बूटी सेे ही तो बची थी, श्री राम के भ्राता लक्ष्मण की भी जान
प्रकुर्ती ही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है, यही है उसकी पहचान
कनिष्टतम है नौकरी ,उच्चतम है किसान
अब नहीं रुकूंगा मैं, स्वरोजगार करने से नहीं चूकूंगा मैें , भेदभाव, अन्याय के आगे नहीं झुकूंगा मैं, ईमानदारी से रोटी कमाऊंगा मैं, गंगा जैसे निश्चल भाव सेे बढूंगा मैं,महाशय धर्मपाल जैसा बनूँगा मैं ,
अब मुझे टोकना नहीं ,स्वरोजगार के लिए त्याग से रोकना नहीं ,
चाहे सीखनी पड़े मुझे नयी कौशल या भाषा, तपस्या कर सफल बन , हर हालत में तोड़ देनी है निराशा ,
प्रयोग करना ,तजुर्बे से सीखना, विद्वानों की संगत करना इनसे बनेगी मेरी चाल, तोड़ देना है मुझे अज्ञानता का जाल ,बनाना है अपने को और इस धरा को बेमिसाल
जागरूक बन कर दिखाना है ,भारत की पहचान,
इसी में है हिंद वासियों की शान, मुझे पता है एक दिन इसी से बनेगा ,मेरा भारत महान, मेरा भारत महान ।
लेखक ”राजीव मगन” किताब ” क्या भारत में बेरोजगारी की समस्या है या सीखने की ” ।
About The Author-
कविता के रचयिता श्री राजीव मगन ठाकुर ने बेरोजगारी समाधान पर किताब लिखी है जिसका शीर्षक है “क्या भारत में बेरोजगारी की समस्या है या सीखने की ” पेशे से वे अध्यापक और लाइब्रेरियन हैं ।अंग्रेजी को आसानी से सीखने के लिए उनकी वेबसाइट www.360reading.in काफी लोकप्रिय है ।