An award-winning poet and author, Devika Das has 5 publications under her name. Her recent title ‘The Mind Game’ has received appreciation from India and abroad as well. What began as a hobby at the age of 13, graduated into blogging in 2008 and took shape of Publishing in 2016 when Devika self-published her first book titled ‘7 Vows of Marriage’ on Amazon Kindle. Her poetry book titled ‘Reminiscence’ has received critical acclaim and her poems have been published in national dailies and featured in anthologies too. She has participated in key literary events at Hyderabad and around India as well. Besides writing, Devika pursues her passion for Acting and is an active theatre artiste in Hyderabad and has featured in several short films.
Interview with Author Devika Das Regarding Her Book “Meghna”
रूषांक: आपकी किताब ‘मेघना’ के लिया बहुत बहुत बधाई! इस किताब को लेकर आपको पाठकों से कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
देविका: मेघना को पाठको ने सराहा है और पसंद किया है। कई पाठको ने यह भी बताया की उन्होंने यह जाना की कलाकार भी इंसान ही है 🙂
रूषांक: आपकी एक किताब “दी माइंड गेम” भी इससे पहले प्रकाशित हो चुकी है। इस शैली (हिंदी) में लिखने का विचार कैसे आया और आपने इसी विषय को क्यों चुना?
देविका: मैं अपने लेखन शैली को प्रतिबंधित नहीं करना चाहती थी। दूसरा कारण, मैं देश के भिन्न प्रांतो में यह सन्देश पहुंचाना चाहती हूँ की हर कलाकार को पनपने और बढ़ने का हौसला मिलना चाहिए।
रूषांक: आपकी पुस्तक वास्तव में पाठकों को क्या संदेश देती है?
देविका: मैं स्वयं एक अभिनेत्री हूँ और एक कलाकार। मैं लोगों को कला का महत्व बताना चाहती थी।
रूषांक: इस किताब को लिखते समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था और किन घटनाक्रमों को सोचते हुए आपने ये किताब लिखी?
देविका: मैंने ज़्यादा प्रयत्न नहीं किया है इस कहानी को लिखने में। मैंने बस अपनी अनुभूति के कुछ यादों को इस कहानी मई दर्शाया है।
रूषांक: इस पुस्तक को लिखने में आपको कितना समय लगा?
देविका: क्योंकि इस कहानी की लिपि हिंदी है, मैंने पहले हिंदी साहित्य का चयन किया फिर इस कहानी को लिखना आरम्भ किया। कमसकम १ साल लगा मुझे मेघना लिखने में।
रूषांक: क्या क्या चुनौतियां आपको इस किताब लिखने के दौरान महसूस हुई ?
देविका: ऐसी कोई ख़ास चुनौती नहीं आयी जिसके बारे में मैं लोगों को बता सकू।
रूषांक: आप लेखक के जीवन में आलोचना को कैसे देखती है और स्वयं इसको कैसे संभालती हैं?
देविका: कभी कभी हम एक ही काम करते हुए थक जाते है। ज़रूरी है की हम कुछ समय के लिए न लिखे ताकि हम इस थकान को दूर कर पाए और अपने लेखन को उत्साहित होकर जारी रखें।
रूषांक: पुस्तक के प्रकाशन के दौरान प्रकाशक के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?
देविका: प्रकाशक ब्लू रोज़ पब्लिशर्स ने मेरा हर कदम पे साथ दिया ताकि एक अच्छी किताब लोगो को पढ़ने को मिले।
रूषांक: आप नवोदित लेखकों को क्या सलाह देना चाहेंगी?
देविका: मेरे जीवन में लिखने का बहुत योगदान है। लिखने के कारण मुझको शांति मिलती है। मैं नवोदित लेखकों को यह सलाह दूँगी की अपने मन को छू जाए ऐसी रचनाये लिखें और ईमानदारी से लिखे।