Interview with Ashok Kumar Dangi Author of the Book, “Salesman Ki Diary”

Interview with Ashok Kumar Dangi Author of the Book, “Salesman Ki Diary”

लेखक परिचय:

अशोक कुमार दांगी सेल्स प्रोफेशन से जुड़े हैं, जो मूल रूप से ग्राम-इटावा, पोस्ट/ थाना- गुरुआ , जिला गया (बिहार) के रहने वाले हैं. ये लगभग 30 वर्षों से अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते है. इन्होंने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से एमएससी ( ज़ूलोगी) एवं एमबीए ( मार्केटिंग) की डिग्री ली है. एमबीए के बाद इन्होंने सेल्समैन के रूप में अपना करियर शुरू किया और दिसंबर 2024 में सीएमओ के पद से अपना करियर समाप्त किया है. ये जॉब के साथ साथ सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं. ये लगभग 5 वर्षों से एक डिजिटल हिंदी मैगज़ीन “द दांगी टाइम्स” निकाल रहें हैं, जिसके ये संस्थापक एवं प्रधान संपादक हैं. इनकी एक उपन्यास “शाबाश बेटी“ 1993 में प्रकाशित हो चुकी है, जो उस समय बहुत ज़्यादा चर्चित रही थी. 

“सेल्समैन की डायरी” इनकी दूसरी पुस्तक है.

लेखक की पृष्ठभूमि और प्रेरणा

Neel Preet: “Salesman Ki Diary” लिखने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?

अशोक कुमार दांगी: लिखने का शौक मुझे कॉलेज लाइफ से ही था। मेरी पहली किताब ‘शाबाश बेटी’ 1993 में प्रकाशित हुई थी, जब मैं एम बी ए कर रहा था। मैं लगभग 5 साल से एक डिजिटल मैगज़ीन ‘ द दांगी टाइम्स’ निकाल रहा हूँ, जिसका मैं संस्थापक सह प्रधान संपादक हूँ । ‘सेल्समैन की डायरी’ लिखने की तात्कालिक प्रेरणा मुझे डॉ लक्ष्मण यादव की किताब ‘ प्रोफेसर की डायरी ‘ पढ़ने के बाद मिली। मैं उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। 

Neel Preet: आपकी अपनी यात्रा के बारे में कुछ बताइए, जहां आपने एक सेल्समैन से लेकर CMO (Chief Marketing Officer) तक का सफर तय किया। इस दौरान कौन सी चुनौतियाँ आईं?

अशोक कुमार दांगी: एमबीए के बाद मैंने दिल्ली में एक कंपनी में एक सेल्स मैन के रूप में काम किया। उसके बाद विभिन्न कंपनियों में काम करते हुए सीएमओ तक का सफ़र तय किया है। इस किताब की सारी कहानियाँ मेरे अपने जीवन की घटनाये हैं। 

Neel Preet: आपके व्यक्तिगत अनुभवों ने इस किताब के विषयों और संदेशों को किस तरह प्रभावित किया?

अशोक कुमार दांगी: ये किताब मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है, इसलिए यह मेरे जीवन से प्रभावित पुस्तक है। 

Neel Preet: क्या आपकी करियर यात्रा में कोई खास पल या घटना थी जिसने आपको इस किताब को लिखने के लिए प्रेरित किया?

अशोक कुमार दांगी: हाँ, सेल्स के कैरियर में बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो बाहर की दुनिया को पता नहीं चलती है। बाहरी दुनिया को लगता है कि बड़ी बड़ी कंपनियाँ अपने बल पर इतनी बड़ी बन जाती है। लेकिन उन कंपनियों की सफलता के पीछे सेल्समैंन का ही योगदान होता है। मैं इस बात को दुनिया के सामने लाना चाहता था।

Neel Preet: आपकी पहली किताब “शाबाश बेटी” के बाद, “Salesman Ki Diary” को लिखने के पीछे क्या कारण था? क्या दोनों किताबों में कुछ समानताएँ हैं?

अशोक कुमार दांगी: दोनों किताबों में कोई समानता नहीं है। ‘शाबाश बेटी’ एक सामाजिक उपन्यास है जिसमें लड़कियों द्वारा यौन शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष को दिखाया गया है। ‘ सेल्समैन की डायरी’ में सेल्स से जुड़े लोगों के जीवन की परेशानियों और उनकी चुनौतियों को दर्शाया गया है।

किताब के बारे में

Neel Preet: “Salesman Ki Diary” में आपने सेल्समैन की कठिनाइयों और संघर्षों को विस्तार से चित्रित किया है। क्या आप हमें कुछ खास अनुभवों के बारे में बता सकते हैं, जो आपको सेल्स के क्षेत्र में हुए?

अशोक कुमार दांगी: किताब में जितनी भी कहानियाँ घटनाएं वर्णित हैं वे सभी मेरे व्यक्तिगत अनुभव, कठिनाइयों और संघर्ष से जुड़ी हैं। 

Neel Preet: किताब में आपने सेल्स के ग्लैमरस पहलू के पीछे की असलियत को उजागर किया है। क्या आपको लगता है कि लोग सेल्स को सही तरीके से समझते हैं?

अशोक कुमार दांगी: सेल्स के पेशे से जुड़े लोगों के अलावा सेल्स को सही तरीके से समाज नहीं समझता है। उन्हें लगता है कि सेल्स और मार्केटिंग वाले लोग बहुत ही ग्लैमरस और तनावमुक्त जिंदगीं जीते हैं, जो बिल्कुल ग़लत है।

Neel Preet: सेल्समैन की मानसिक स्थिति और तनाव को आपने किताब में बहुत अच्छे से दिखाया है। क्या आपके अनुसार, सेल्स में सफलता पाने के लिए मानसिक मजबूती कितनी अहम है?

अशोक कुमार दांगी: सेल्स के पेशे में सफलता पाने की पहली शर्त मानसिक रूप से मजबूत होना होता है। जो व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत नहीं होगा वह सेल्स के प्रोफेशन में कभी सफल नहीं हो सकता है। 

Neel Preet: किताब में सेल्समैन के संघर्षों और मेहनत की कद्र न होने का जिक्र किया गया है। क्या यह समस्या आज भी इस पेशे में मौजूद है?

अशोक कुमार दांगी: बिल्कुल, यह स्थिति आज भी बनी है। कंपनियों आज भी सेल्स से जुड़े लोगों को उतना महत्व नहीं देती है जितनी उन्हें देना चाहिए। कंपनियों के प्रमोटिर्स / मालिक को लगता है कि उनकी कंपनी का कारोबार उनके मेहनत पर निर्भर करता है। जबकि हकीकत है कि उनकी कंपनियों का कारोबार सेल्समैन के भरोसे चलता है। तभी अगर किसी कंपनी का सेल्स टीम कंपनी छोड़ देती है तो कंपनी की बिज़नेस धड़ाम से गिर जाता है या कभी कभी कंपनी बंद तक हो जाती है। 

Neel Preet: किताब का संदेश केवल सेल्स पेशेवरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हर किसी के लिए प्रेरणा देने वाला है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं?

अशोक कुमार दांगी: हाँ, यह किताब एक मोटिवेशनल बुक के कैटेगरी में रखा गया है। इसे हर क्षेत्र के लोगों को प्रेरणा मिलेगी। 

लेखन शैली और पाठकों से जुड़ाव

Neel Preet: आपकी लेखन शैली को सरल और प्रभावी माना गया है। क्या यह आपके व्यक्तिगत अनुभवों को शेयर करने का तरीका था या आपने इसे पाठकों के लिए समझने में आसानी के लिए चुना?

अशोक कुमार दांगी: मैंने अपनी लेखन शैली को सरल और सहज रखा है, जिससे पुस्तक में पाठको की रुचि बनी रहे और पुस्तक का विषय वस्तु को समझने में उन्हें आसानी हो। मेरे अधिकतर पाठक सामान्य वर्ग के हैं, जिन्हें साहित्य के कठिन भाषा को समझने में कठिनाई हो सकती है। 

Neel Preet: किताब के माध्यम से आप पाठकों को क्या सबसे बड़ी सीख देना चाहते हैं?

अशोक कुमार दांगी: इस किताब में मैं यह बताने का प्रयास किया है कि सफलता के लिए संघर्ष और कड़ी मेहनत ही एक मात्र विकल्प है।

Neel Preet: आपने इस किताब में जो उदाहरण और कहानियाँ दी हैं, क्या वे आपके व्यक्तिगत जीवन से प्रेरित हैं या आपने इन घटनाओं को पेशेवर दृष्टिकोण से लिया है?

अशोक कुमार दांगी: मेरे इस किताब की सारी कहानियाँ मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हैं। 

Neel Preet: क्या किताब के लेखन के दौरान आपको अपने पेशेवर अनुभवों की कोई नई सीख मिली है, जिसे आपने पहले महसूस नहीं किया था?

अशोक कुमार दांगी: मैंने अपने पेशेवर जीवन के अनुभव पर ही यह किताब लिखी है। 

किताब की लोकप्रियता और पाठकों से प्रतिक्रिया

Neel Preet: “Salesman Ki Diary” को लेकर पाठकों से क्या प्रतिक्रिया मिली है? क्या आपको लगता है कि इस किताब ने लोगों को सेल्स पेशे के प्रति अधिक सहानुभूति और समझ दी है?

अशोक कुमार दांगी: पाठकों की प्रतिक्रिया बहुत ही सकारात्मक और उत्साहवर्धक है। उनके अनुसार यह किताब बहुत ही सरल और सहज भाषा में लिखी गई है जो उन्हें अंत तक बाँधे रखती है और इस किताब को अंत तक पढ़ने को मजबूर करती है। कई पाठकों को लगता है कि यह उनकी अपनी कहानी है। 

Neel Preet: आपकी किताब के माध्यम से सेल्समैन के जीवन को लेकर लोगों का दृष्टिकोण कैसे बदल सकता है?

अशोक कुमार दांगी: इस किताब के माध्यम से समाज के लोगों का सेल्समैन के प्रति उनका नजरिया अवश्य बदलेगा। अब वे सेल्समैन के पेशे को सम्मान और आदर से देखेंगे। 

Neel Preet: आपके अनुसार, “Salesman Ki Diary” की सबसे बड़ी विशेषता क्या है, जो इसे अन्य सेल्स और मोटिवेशनल किताबों से अलग बनाती है?

अशोक कुमार दांगी: इस किताब में मैंने लिखा है कि डायरेक्ट सेलिंग के पेशे में परिणाम / सफलता केवल 1% मिलता है। उसके बावजूद कोई भी व्यक्ति अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से सीएमओ तक का सफ़र तय कर सकता है। 

भविष्य की योजनाएँ और अन्य किताबें

Neel Preet: क्या आप इस किताब के बाद किसी और विषय पर लिखने की योजना बना रहे हैं? अगर हां, तो वो विषय क्या होगा?

अशोक कुमार दांगी: मेरी अगली पुस्तक ‘फिसलन’ लगभग पूरा होने वाला है, जो एक सामाजिक उपन्यास है। यह कॉलेज जीवन पर आधारित है। 

Neel Preet: आपकी आने वाली किताबों में क्या कोई नया दृष्टिकोण या विषय होगा जो आपके पाठकों के लिए एक नई प्रेरणा देने वाला हो?

अशोक कुमार दांगी: मेरी नई किताब एक नये दृष्टिकोण पर आधारित होगी। 

Neel Preet: आपने अपने जीवन में काफी संघर्षों का सामना किया है, क्या आप पाठकों को अपने जीवन के अनुभवों से कुछ खास संदेश देना चाहेंगे?

अशोक कुमार दांगी: मेरा संपूर्ण जीवन संघर्षों से भरा रहा है। ‘ सेल्समैन की डायरी’ मेरे संघर्षों की ही कहानी है। 

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