Book Review: “Salesman Ki Diary” by Ashok Kumar Dangi

Book Review: “Salesman Ki Diary” by Ashok Kumar Dangi

किताब का परिचय

“सेल्समैन की डायरी” अशोक कुमार दांगी द्वारा लिखी गई एक ऐसी किताब है जो न केवल सेल्स और मार्केटिंग प्रोफेशन के बारे में एक गहरी समझ देती है, बल्कि उस दुनिया के भीतर छिपे हुए संघर्षों, मुश्किलों और वास्तविकताओं को भी उजागर करती है। इस किताब के माध्यम से लेखक हमें एक सेल्समैन की डायरी के रूप में वह सब कुछ बताते हैं, जो आमतौर पर हमारी नजरों से ओझल होता है। यह किताब सेल्स और मार्केटिंग से जुड़े उन लाखों युवाओं के संघर्षों और परिश्रम की कहानी है, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।

लेखक ने अपनी पेशेवर यात्रा के अनुभवों को इस किताब में साझा किया है, जिससे न केवल सेल्स पेशे में रुचि रखने वाले लोग, बल्कि किसी भी पेशे से जुड़े लोग इसे पढ़कर जीवन के कठिन रास्तों पर चलने की प्रेरणा ले सकते हैं। लेखक ने इस किताब में अपनी कहानी और सेल्स के प्रोफेशन की कड़ी मेहनत, संघर्ष, अपमान और निरंतर परिश्रम को बखूबी चित्रित किया है।

किताब की कहानी और मुख्य बिंदु

“सेल्समैन की डायरी” एक सेल्समैन के दृष्टिकोण से लिखी गई है, जिसमें उनकी दिन-प्रतिदिन की जद्दोजहद, कंपनियों की नीतियां, कस्टमर के साथ संबंध, और सबसे महत्वपूर्ण बात—सेल्स प्रोफेशन में आने वाली चुनौतियों का खुलासा किया गया है। लेखक ने अपनी डायरी में उन अनुभवों को लिखा है, जो उनके पेशेवर जीवन का हिस्सा रहे। इन अनुभवों के माध्यम से वह बताने की कोशिश करते हैं कि सेल्समैन के जीवन के पीछे केवल उनके खूबसूरत चेहरे और प्रभावशाली भाषण के अलावा भी बहुत कुछ होता है।

किताब में लेखक ने स्पष्ट किया है कि हर सेल्समैन की मेहनत और संघर्ष को समाज में सही मायने में महत्व नहीं मिलता। कई बार कंपनियां अपने सेल्समैन और मार्केटिंग टीम की मेहनत को नजरअंदाज करती हैं, लेकिन उनकी मेहनत ही उस कंपनी को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाती है। लेखक ने इस किताब के माध्यम से इस पेशे की कठोर वास्तविकताओं को समाज के सामने रखा है, ताकि लोग सेल्स और मार्केटिंग के पेशेवरों के प्रति अपनी सोच में बदलाव ला सकें।

किताब की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसे पढ़ते वक्त पाठक को ऐसा लगता है जैसे वह किसी पेशेवर सेल्समैन के साथ उसी दिन, उसी समय, और उसी संघर्ष में शामिल हो रहे हैं। इस किताब को पढ़ते हुए पाठक को ऐसा महसूस होता है कि वह सेल्स की जटिलताओं और उसकी चुनौतियों का हिस्सा बन गए हैं। लेखक ने इसे इस तरह से लिखा है कि इसके किस्से कभी अपने ही अनुभवों से मेल खाने लगते हैं।

लेखक का दृष्टिकोण और लेखन शैली

अशोक कुमार दांगी का लेखन शैली सरल और प्रभावी है। उन्होंने बहुत ही सहज और समझने योग्य भाषा में अपनी बातों को रखा है, जिससे यह किताब उन लोगों के लिए भी पढ़ना आसान हो जाता है जो सेल्स और मार्केटिंग के क्षेत्र से जुड़े नहीं हैं। इसके साथ ही लेखक ने जटिल व्यापारिक शब्दों से बचते हुए, इस क्षेत्र के वास्तविक अनुभवों को व्यक्त किया है।
लेखक ने अपने अनुभवों को किस्सों के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को पूरी किताब पढ़ते समय लगातार रुचि बनी रहती है। यह किताब किसी सेल्समैन के रोज़ाना के जीवन को एक किताब के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसमें एक तरह से हर सेल्समैन की डायरी शामिल है।

किताब में क्या खास है?

  • सेल्स की दुनिया की वास्तविकता: यह किताब न केवल सेल्स के पेशे को रोमांटिक रूप में प्रस्तुत करती है, बल्कि इसके असली संघर्षों, उतार-चढ़ाव और कठिनाइयों को भी उजागर करती है। सेल्स की दुनिया का यह वास्तविक पक्ष बहुत कम किताबों में देखने को मिलता है।
  • सेल्स के तनाव और चुनौतियाँ: लेखक ने उन तनावों और चुनौतियों को भी व्यक्त किया है, जो एक सेल्समैन के रोज़ाना के जीवन का हिस्सा होते हैं। वे तनाव, घमंड, और कस्टमर से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं को बहुत अच्छे तरीके से प्रस्तुत करते हैं, जिससे पाठक को इसका वास्तविक अनुभव होता है।
  • मनोरंजन और प्रेरणा का मिश्रण: जबकि यह किताब एक पेशेवर क्षेत्र की वास्तविकताओं पर आधारित है, लेखक ने उसे इस प्रकार से लिखा है कि वह न केवल एक शिक्षाप्रद किताब बन गई है, बल्कि पढ़ने में भी दिलचस्प है। इस किताब में सफलता, संघर्ष, और प्रेरणा का अच्छा मिश्रण है।
  • गोपनीयता का ख्याल रखना: किताब में अधिकांश कंपनियों और व्यक्तियों के नाम बदल दिए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार का विवाद न हो। यह लेखक का समझदारीपूर्ण कदम है, जिससे वह यह सुनिश्चित करते हैं कि किताब में जिन घटनाओं और अनुभवों का उल्लेख किया गया है, वे सुरक्षित और बिना किसी विवाद के पाठकों तक पहुँच सकें।

लेखक का जीवन और उनका योगदान

अशोक कुमार दांगी का जीवन भी इस किताब की कहानी से मिलता-जुलता है। उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत एक साधारण सेल्समैन के रूप में की थी और कई वर्षों की मेहनत के बाद सीएमओ (मुख्य विपणन अधिकारी) के पद तक पहुँचे। उनकी यह यात्रा न केवल सेल्स और मार्केटिंग के पेशे के बारे में एक गहरी समझ देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए क्या-क्या संघर्ष और प्रयास चाहिए होते हैं।

अशोक कुमार दांगी ने न केवल एक लेखक के रूप में, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी बहुत काम किया है। उनकी किताब “शाबाश बेटी” को भी बहुत सराहा गया था, और अब “सेल्समैन की डायरी” उनके लेखन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है। उनका जीवन और उनका अनुभव पाठकों को प्रेरित करता है और उनके संघर्षों को समझने में मदद करता है।

निष्कर्ष

“सेल्समैन की डायरी” अशोक कुमार दांगी द्वारा लिखी गई एक उत्कृष्ट किताब है जो सेल्स और मार्केटिंग के क्षेत्र से जुड़ी जटिलताओं और संघर्षों को समझने का एक शानदार तरीका है। यह किताब उन लोगों के लिए बहुत प्रेरणादायक है जो इस क्षेत्र में हैं, साथ ही यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो इस क्षेत्र में आने का विचार कर रहे हैं। लेखक की सरल और प्रभावी लेखन शैली, साथ ही किताब के अंदर छिपी हुई प्रेरणा और संघर्ष की कहानियाँ इसे एक बेहतरीन पढ़ाई बना देती हैं।

कुल मिलाकर, “सेल्समैन की डायरी” उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो किसी भी पेशे में सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। इस किताब को पढ़ने से न केवल पेशेवर दृष्टिकोण से मदद मिलती है, बल्कि यह जीवन की कठिनाइयों को पार करने का एक सशक्त मार्गदर्शन भी प्रदान करती है।

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