मीठी स्याही – प्रतीक पाण्डेय – Book Review

मीठी स्याही – प्रतीक पाण्डेय – Book Review

मीठी स्याही”  नामक इस काव्य-संग्रह में शायर ने बहुत ही बेहतरीन और उत्कृष्ट कविताओं व शायरियों का संकलन किया है। इस किताब की एक-एक कविता और शायरी में शायर ने अपने हृदय के उन भावों को समाहित किया है जिन्हें सामान्य भाषा में कहना बड़ा ही कठिन था। इस किताब की एक-एक कविता पर ही नहीं बल्कि एक-एक पंक्तियों पर भी यदि हम ध्यान दें तो वे बहुत कुछ कह रही हैं जिनमें :-

मेरी माँ सीखा रही है ये मुझे बचपन से,

 जो तेरी आँख में दे आँसू उसे हंसाया कर।

 भर गई थी माँ की आँखें मुझे कहते हुए,

 उसे पसंद है नये खिलौने तू टूट जाया कर ।“

 शायर ने इस किताब में श्रृंगार रस को प्रमुखता देते हुए अपनी किताब को बेहद ही ख़ूबसूरत तरीके से लिखा है। शायर द्वारा शब्दों का चयन भी काफ़ी बारीकी से किया गया है और उनके विचारों व भाषा की स्पष्टता भी हम इस किताब में देख सकते हैं। जिसमें किताब के शीर्षक पर भी दो लाइने बेहद ही ख़ूबसूरत तरीके से लिखी गई हैं:-

मिट्टी गूँथना चाक चलाना और सुराही हो जाना,

 इतना भी आसान नहीं था मीठी स्याही हो जाना।”

 असल मायने में कहा जाए तो यह किताब एक अधूरे प्रेम का संबल भी है, जहाँ शायर ने अपनी प्रेमिका की ख़ूबसूरती का वर्णन तो कविताओं के माध्यम से किया ही है लेकिन साथ ही साथ उन्होंने, अपनी प्रेमिका के एक विशेष फैसले का सम्मान भी किया है। जो की एक आदर्श प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है हालांकि कुछ कविताओं में शायर ने अपने अधूरे प्रेम के प्रति रोष भी दिखाया है लेकिन उसमें भी कहीं ना कहीं हृदय का एक मर्म छिपा हुआ है जिसे एक प्रेमी हिय ही जान सकता है।

शायर ने अपनी यह किताब एक इलाहाबादी लड़की जो की कवि की प्रेमिका भी है पर लिखा है। अपने कॉलेज टाइम के कई यादों को ताजा करते हुए कई कविताओं व शायरियों में उन बातों का ज़िक्र बड़े ही गहरे भाव में बेहद ही ख़ूबसूरती से किया गया है। इस काव्य-संग्रह की हर कविता हमसे कुछ कहती है। इस काव्य-संग्रह की सरलता व स्पष्टता के साथ ही साथ इस किताब की भाषा शैली, कविताओं को सुसज्जित करने के लिए अलंकारो का प्रयोग और श्रृंगार रस के संयोग व वियोग रस नें किताब को साहित्यिक दृष्टिकोण से भी परिपूर्ण किया है जिसने पाठकों द्वारा किताब को सराहने का अवसर प्रदान किया है।

 प्रेम में टूटे हुए दिल से निकली हुई आह्ह! को शायर ने शायरी का रूप इतना ख़ूबसूरत तरीके से दिया है कि जिसे ख़ुद शायर के शायरी से ही समझाना आसान होगा इसीलिए हम इस कवि को न केवल कवि कहेंगे बल्कि एक अच्छा शायर भी कह सकते हैं।

  इस किताब में शायर ने अपने सच्चे प्रेम का इज़हार करते हुए एक बात दिल से कही है कि प्यार तो एक ही बार होता है, जिसके बाद उसकी यादों संग भी अपनी पूरी ज़िंदगी बिताई जा सकती है। इस किताब की प्रत्येक कविताओं और शायरियों नें मुझे बहुत ही प्रभावित किया है और इस किताब को पढ़कर मुझे ऐसा लगता है कि  “ प्रेम में टूट कर स्वयं को चंद शब्दों में समेटने वाला व्यक्ति ही शायर होता है।“

 एक सफल लेखक वही होता है जो बेहद ही सरल और चुनिंदा शब्दों का चयन करते हुए साहित्य की परिपाटी पर खरा उतरते हुए अपने भावों को स्पष्ट करता है और पाठकों के हृदय में प्रवेश करता है और यदि इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह काव्य-संग्रह उन सभी तथ्यों को स्वयं में समाहित करते हुए आगे बढ़ता है। इसीलिए मुझे आशा है कि यह  “काव्य-संग्रह” न केवल युवा वर्ग के लोगों को, बल्कि हर वर्ग के लोगो के हृदय को छू जायेगी। इसी के साथ शायर को उनकी काव्य-संग्रह के लिए ढ़ेरो शुभकामनाएँ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *