An Interview with Author Shailesh Vani

An Interview with Author Shailesh Vani

The Literature Times: आपका उपन्यास “एक घर चाँद पर” इस विचार पर आधारित है कि चाँद पर जीवन बसाया जा सकता है। क्या आपको लगता है कि भविष्य में विज्ञान इस दिशा में प्रगति कर पाएगा, जैसा आपने अपनी काव्यात्मक और वैज्ञानिक दृष्टि में चित्रित किया है?

Author: निश्चित रूप से हाँ, अभी हम, अर्थात दुनिया के वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं और निश्चित रूप से सफल होंगे. चंद्रमा हमार सबसे निकटतम आकाशीय पिंड है जो इतना पर्याप्त बड़ा है कि जहां जीवन बसाया जा सकता है.

The Literature Times: इस उपन्यास में कल्पना और विज्ञान का मिश्रण है। आप किस प्रकार अपनी वैज्ञानिक सोच और रचनात्मकता को जोड़ते हैं जब आप एक काल्पनिक कथा लिखते हैं?

Author: देखिए मैं कल्पना में भी उसी बात को vizualize करता हूँ जो भविष्य में हो सकता है या होने की संभावना हो सकती है. मैं अति मानव या सुपर मैन या कहें सुपर fantasy वाली कल्पना नहीं करता. यह मेरे स्वभाव में नहीं है. Spider man या bat man जैसा character नहीं करता. वास्तव में वो एक थोड़ी अलग कल्पना की स्थिति है. मुझे तो वो ही अच्छा लगता है जो भविष्य में हो सकता है. कहीं न कहीं उस कल्पना का वैज्ञानिक आधार होना चाहिए, मुझे ऐसा लगता है. इसलिये मेरी कहानियों में विज्ञान के तथ्यों आधारित कल्पना का समावेश ही अधिकतर मिलेगा.

The Literature Times: बचपन से विज्ञान और गणित में रुचि रखने के बावजूद, आपने वैज्ञानिक बनने के बजाय शिक्षक बनने का मार्ग चुना। क्या आपको लगता है कि शिक्षक बनने से आपके लेखन की प्रक्रिया पर कोई विशेष प्रभाव पड़ा है?

Author: To be honest यह मार्ग मैंने चुना नहीं ब्लकि परिस्थितियों वश चुनना पड़ा. हालांकि मुझे बाद में इस कार्य में आनंद आने लगा. निश्चित रूप से यदि मैं वैज्ञानिक होता तो विज्ञान संबंधी ज्ञान कहीं अधिक होता और मेरा दृष्टिकोण अधिक व्यापक होता साथ ही मेरा लेखन और अधिक समृद्ध होता. हालांकि ये जो कुछ भी मैंने लिखा है वह बहुत से स्त्रोतों से अध्ययन कर के लिखा है. स्वयं को जितना हो सकता था ज्ञान के साथ update रखा है. और उस आधार पर ही लिखा है. सच कहो तो लेखन एक आसान प्रक्रिया नहीं है. बहुत धैर्य चाहिए इस विधा के लिए.

The Literature Times: चाँद पर जीवन बसाने का विचार आपने अपनी पुस्तक में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कैसे प्रस्तुत किया है? क्या आप इसे वास्तविकता में संभव मानते हैं, या यह सिर्फ एक कल्पना है?

Author: मैंने जैसा कि पहले भी कहा है कि मैं वो ही कल्पना कर पाता हूं जो सम्भावित है. निश्चित रूप से अभी यह एक कल्पना है. पर आप जानते ही हैं कि कल्पना को ही अत्यधिक प्रयास करने, समय देने, और धैर्य के साथ लगातार प्रयास करने से उसे वास्तविक में बदला जा सकता है और आप देख ही रहे हैं आज टेक्नोलॉजी किस स्तर पर पहुंच गई है. ये भी कभी कल्पना ही रही होगी.

The Literature Times: उपन्यास में आपने चाँद को एक गंतव्य के रूप में प्रस्तुत किया है, जहाँ जीवन संभव है। क्या आप मानते हैं कि अंतरिक्ष में जीवन के प्रति मानवता की आकांक्षाएं किसी प्रकार से हमारी पृथ्वी के भविष्य से जुड़ी हुई हैं?

Author: उपन्यास की बात करें तो हाँ चाँद पर जीवन की संभावना या जीवन बसाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में देखा जाए तो यह गंतव्य नहीं एक विश्राम है, एक पड़ाव है अभी, हमें तो इससे बहुत आगे जाना है, विशेष कर के अपनी गति को बहुत तेज करना है, हमारी गति जब तक प्रकाश की गति के लगभग नहीं होगी हम अन्य galaxies तक नहीं जा पाएंगे.

The Literature Times: आपके लेखन में “साइंस फिक्शन” की विशेष भूमिका है। क्या यह आपको अपनी कल्पनाओं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है, और क्या आप इसके माध्यम से समाज को किसी प्रकार का संदेश देना चाहते हैं?

Author: ईश्वर ने हर व्यक्ति को कुछ ना कुछ विशेषता के साथ इस धरती पर भेजा है. उसी तरह मुझे लेखन की और एक अच्छी आवाज़ की क्षमता दी है. जिसमें साइंस फिक्शन के माध्यम से अपनी कल्पनायें व्यक्त करना मेरे लिए आसान हो गया है. मैं चाहता हूं हर स्टूडेंट का दृष्टिकोण, उनका चीज़ों को देखने का तरीका, घटनाओं को देखने का तरीका वैज्ञानिक हो, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर चीज़ को देखें, समाज में हो रही घटनाओं के पीछे उसकी psychology को समझें. जीवन आसान हो जाएगा.

The Literature Times: आपके द्वारा लिखे गए विभिन्न प्रकार के साहित्य, जैसे कविता, कहानी, लघुकथा, आदि में क्या कोई एक विधा है जिसमें आप सबसे अधिक सहज महसूस करते हैं, और क्यों?

Author: जैसा कि मैंने कहा लेखन की य़ह विधा ईश्वर प्रदत्त है, ईश्वर मेरे मस्तिष्क में कुछ डालते हैं और मैं लिखने के लिए प्रेरित होता हूँ और लिख देता हूं. फिर कोई कहानी हो या कविता या कुछ और. वैसे कल्पनाओं को शब्दों में पिरोना एक कठिन कार्य है.

The Literature Times: “एक घर चाँद पर” उपन्यास में कल्पना और रोमांच का मिलाजुला अनुभव होता है। इस उपन्यास के लेखन के दौरान आपके मन में कौन-सी प्रमुख भावनाएँ और विचार थे, जिन्हें आप पाठकों के साथ साझा करना चाहते थे?

Author: मेरे विचार में या कहें मेरा यह दृढ़ता से मानना है कि हमारी पृथ्वी के अलावा भी इस संपूर्ण ब्रह्मांड में कहीं न कहीं अथवा एक से अधिक जगह पर जीवन है या हो सकता है. इसीलिए मेरे पहले उपन्यास beyond the earth में मैंने एक अन्य ग्रह से पृथ्वी पर आए मनुष्य रूपी जीवों जिन्हें aliens कहते हैं का पूरा वृतांत लिखा है. वह उपन्यास भी साइंस फिक्शन है जो इस उपन्यास से बिलकुल अलग कल्पना है.

The Literature Times: आपको बचपन से ही वैज्ञानिक उपन्यासों में रुचि थी, जैसे कि डॉ. सी.वी. रमन और प्रो. दिवाकर के उपन्यास। क्या इन रचनाओं ने आपके लेखन पर कोई विशेष प्रभाव डाला है?

Author: जी बिलकुल डाला है, मुझे डॉ. रमन के उपन्यास ‘सौ साल बाद’ और प्रोफेसर दिवाकर के उपन्यास ‘समय के स्वामी, ने बहुत प्रभावित किया. ये दोनों उपन्यास मेरे पिता जी ने मुझे पढ़ने के लिए दिए थे. तब से ही शायद मैं कल्पनाओं में गोते लगाने लगा और शायद तब से ही मेरे अन्दर एक लेखक का अंकुरण हुआ.

The Literature Times: आपकी लेखन यात्रा में, विशेषकर विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी रचनाओं में, आपको कौन-से मुख्य प्रेरणास्त्रोत मिले हैं? क्या आपके लिए एक लेखक के रूप में सफलता की कोई खास परिभाषा है?

Author: सच पूछें तो मैं नासा के अंतरिक्ष में किए गए कार्यों से बहुत प्रभावित हूँ. उनके द्वारा विभिन्न अंतरिक्ष यान द्वारा चाँद से लेकर मंगल ब्रहस्पति शनि ग्रह तक तथा उनके चंद्रमा यूरोपा, titen आदि तक पहुंचने की लंबी यात्रा ने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया है. अब भी चाहता हूं कि नासा या इसरो में एक छोटा सा स्थान प्राप्त हो सके मुझे. सफ़लता की बात करें तो मैं एक सफल की श्रेणी में आता ही नहीं हूँ. लेकिन एक तो है कि मेरे ये दोनों उपन्यास बिल्कुल ही अलग हैं. वास्तविकता के करीब हैं. पाठकों को यह जरूर लगेगा कि हाँ ऐसा हो सकता है. और ऐसी ही सोच कल्पना को वास्तविकता में परिणित कर सकती है.

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