भारतीय प्रोफेसर डॉ. मुनेंद्र जैन को मिला तीसरा पेटेंट, इन्फ़्रासोनिक बूम डिटेक्शन तकनीक के लिए यूरोपीय एजेंसी ने माना लोहा

– तेज कटाव वाली नदी तटों की डॉ. जैन की तकनीक से होती है पहचान

– एनएमआईएमएस इंदौर में फैकल्टी हैं डॉ. मुनेंद्र जैन

– इन्फ़्रासोनिक बूम डिटेक्शन तकनीक से रुक सकेगी ग्रामीण इलाकों में कटाव से होने वाली तबाही

मुंबई : स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग (NMIMS), इंदौर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे डॉ. मुनेंद्र जैन को तीसरा पेटेंट मिला है. यूरोपीय पेटेंट एजेंसी इन्फ़्रासोनिक बूम डिटेक्शन तकनीक के लिए उन्हें पटेंट दिया है. डॉ. जैन के द्वारा विकसित यह तकनीक नदी तटों पर होने वाले संभावित कटाव का पूर्वानुमान लगा सकती है.

एनएमआईएमएस ने बताया कि इस डॉ. जैन के इस शोध को एनएमआईएमएस ने  रॉयल्टी-शेयरिंग समझौते के तहत वित्त पोषित किया था. जानकारी के मुताबिक इस तकनीक की प्रोटोटाइप की पूरी लागत 10,000 रुपये से भी कम है. एनएमआईएमएस ने डॉ. जैन को तीसरा पेटेंट मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि संस्थान को इस पर गर्व है.

क्या थी चुनौतियां : संस्थान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि डॉ. जैन ने इस तकनीक को विकसित करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया. डॉ. जैन ने इस तकनीक को विकसित करते समय कम लागत और विश्वसनियता का खास ख्याल रखा. डॉ. जैन के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि इसका इस्तेमाल आसनी से हो सके. इसके लिए उन्होंने डिवाइस को हल्का बनाने पर ध्यान दिया. यह डिवाइस बैटरी चलती है डॉ. जैन ने इस बात का भी ध्यान रखा की बैटरी लंबी चलने वाली हो. इसके अलावा इसे वाटर प्रूफ और शॉक प्रूफ भी बनाया गया है. इस डिवाइस की विश्वसनीयता और डेटा गुणवत्ता पर भी काफी काम किया गया है. इस डिवाइस से प्राप्त डेटा को आसानी से मोबाइल ऐप पर देखा जा सकता है. जिससे नदी के किनारों पर कटाव दर का निरीक्षण करना आसान हो जाता है.

इन क्षेत्रों में भी काम कर रहे हैं डॉ. जैन : बता दें कि, डॉ. जैन का यह तीसरा पेटेंट है. उनके पिछले दो पेटेंट इलेक्ट्रॉन क्रायो माइक्रोस्कोप और कमर में पहने जाने वाले सैनिटाइजर से संबंधित हैं. जर्मन पेटेंट उपयोग के लिए पूरी तरह से उपलब्ध है. जिसे एक रॉयल्टी मॉडल के तहत पेश किया गया है. डॉ. जैन दवा, एयर ट्रैफिक और रोड ट्रैफिक जैसे नए क्षेत्रों में भी शोध कर रहे हैं. वह  कंपनियों और अन्य विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ काम करना चाहते हैं ताकि इस डिवाइस का एक और उन्नत संस्करण बनाया जा सके. जिससे शोधकर्ताओं, सरकार और जनता को अधिकतम लाभ हो सके.

कंपनियां कर सकती हैं संपर्क  : डॉ. जैन के आविष्कार में क्रांति लाने की क्षमता है. इस तकनीक का इस्तेमाल करके सरकार, नीति-निर्माता अधिकारी, शोधकर्ता और किसान नदी के किनारों पर होने वाले कटाव का अध्ययन कर उसके रोकथाम के लिए कदम उठा सकेंगे. इस डिवाइस का इस्तेमाल करके कटाव से हुए नुकसान का आकलन भी किया जा सकता है. बताया गया कि इस पेटेंट का इस्तेमाल करने की इच्छुक कंपनियां डिवाइस का उत्पादन शुरू करने और प्रौद्योगिकी को जनता के सामने लाने के लिए डॉ. जैन से संपर्क कर सकती हैं.

जमीनी स्तर पर डिवाइस के इस्तेमाल को लेकर उत्साहित हैं डॉ. जैन : अपने शोध के बारे में बात करते हुए डॉ. मुनेंद्र जैन ने कहा कि मुझे अपना तीसरा पेटेंट मिलने की खुशी है. मैं एनएमआईएमएस के सहयोग के लिए भी आभारी हूं. उन्होंने कहा कि यह डिवाइस नदी के किनारों की स्थिति का पता लगाने और कटाव की निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा. उन्होंने कहा कि मैं इस बदलाव को देखने के लिए उत्साहित हूं. उन्होंने कहा कि इस उपकरण के इस्तेमाल से नदी किनारे के गांवों में हर साल होने वाली तबाही की रोकथाम और रेसक्यू में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि निस्संदेह इस उपकरण का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

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